poem

Yaachak nahi h tu

Vijay Parmar Vijay Parmar March 23, 2023 | 1 minute
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Yaachak nahi h tu

याचक नहीं है तू,याचना ना कर
भाग्यवाद कुछ नही,कर्म प्रखर कर।
जीवन रण है
चुनौतियां रणभेरिया है।
विपदाएं शत्रु सम है,
पर तेरे साहस के सम्मुख कठपुतलियां भर हैं।
ना ललाट ना हस्थरेखा में,विपदा के
स्वतः समाधान का आवाह्न कर,
तेरी साहसरूपी तलवार में,विपदा के
प्रति रुधिर पिपासा का संधान कर,
रक्तपात है रण की आहुति,
पर विपदा देती तुझे केवल श्रम बिंदु की अनुभूति।
श्वासों को सुदृढ़ कर, अथक श्रम कर
भाग्यवाद कुछ नही,कर्म प्रखर कर।

Vijay Parmar
by Vijay Parmar
Vijay is a 2022 batch student of Government Medical College, Ratlam.

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