poem

चांद और तुम

Ipsa Roy Ipsa Roy June 14, 2023 | 1 minute
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चांद और तुम

माना कि चाँद की तरह तुम मुझसे दूर हो
पर मेरी जिंदगी का तुम नूर हो|
जिस तरह चांद से शीतलता है
मेरा ये सख्त दिल तुम्हारे लिए ही पिघलता है|
तुम्हारी चेहरे की चमक के आगे चांद भी सादा हैं
पूर्णिमा का चांद भी आधा है|
एक ख्वाइश है छोटी सी
तू चाँद और मैं सितारा होता,
आसमान में एक आशियाना हमारा होता,
चाँद हो या न हो, चांदनी रात होती
मैं तेरे साथ,तू मेरे साथ होती
चाँद का किरदार अपना लेते हम दोस्तो,
दाग अपने पास रखते और रौशनी बांटते हम दोनो

Ipsa Roy
by Ipsa Roy
Romanticizing my life with flowers,jhumkas and peace.

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