क्या खूब कहा है मुहब्बत ने
होता नहीं वख्त बर्बाद कभी
खुदसे मुहब्बत करने में
एक तुम ही तो हो,
एक तुम ही तो हो
जो ज़िन्दगी के बदले में
खुदसे मुहब्बत करते हो।
खुदसे मुहब्बत करलो किसी और की ज़रूरत नहीं पडे़गी
कितना सहज लगता है ये लफ्ज़ है ना?
खुदसे मुहब्बत करलो किसी और की ज़रूरत नहीं पडे़गी
कितना सहज लगता है ये लफ्ज़ है ना?
पर गौर फरमाया है इसपर कभी
जिसे मुहब्बत न हुई कभी खुदसे,
जिसे मुहब्बत न हुई कभी खुदसे
उसकी खामियां सिर्फ किसी और की मुहब्बत ही सवार सकती,
उन खामियों को अपूर्णता नहीं
अपनी खूबसूरती बतला सकती।।