poem

Nari Kahan Hai

Nitish Adawadkar Nitish Adawadkar October 01, 2023 | 2 minutes
  Link copied successfully.
Nari Kahan Hai

अक्ल बाटने लगे विधाता, लंबी लगी कतारी ।
सभी आदमी खड़े हुए थे, कहीं नहीं थी नारी।।
सभी नारियाँ कहाँ रह गई, था ये अचरज भारी ।
पता चला ब्यूटी पार्लर में, पहुँच गई थी सारी ।।

मेकअप की थी गहन प्रक्रिया एक एक पर भारी । बैठी थीं कुछ इंतजार में, कब आएगी बारी ।।
उधर विधाता ने पुरूषों में, अक्ल बाँट दी सारी पार्लर से फुर्सत पाकर के, जब पहुँची सब नारी |

बोर्ड लगा था स्टॉक ख़त्म है, नहीं अक्ल अब बाकी । रोने लगी सभी महिलाएं, नींद खुली ब्रह्मा की ।।
पूछा कैसा शोर हो रहा, ब्रह्मलोक के द्वारे ?
पता चला कि स्टॉक अक्ल का पुरुष ले गए सारे ।।

ब्रह्मा जी ने कहा देवियों, बहुत देर कर दी है।
जितनी भी थी अक्ल सभी वो, पुरुषों में भर दी है।।
लगी चीखने महिलाये ये कैसा न्याय तुम्हारा?
कुछ भी करो, चाहिए हमको आधा भाग हमारा ।।

पुरुषो में शारीरिक बल है, हम ठहरी अबलाएं ।
अक्ल हमारे लिए जरूरी, निज रक्षा कर पाएं ।।
बहुत सोच दाढ़ी सहलाकर, तब बोले ब्रह्मा जी ।
इक वरदान तुम्हे देता हूँ, हो जाओ अब राजी।।

थोड़ी सी भी हँसी तुम्हारी रहे पुरुष पर भारी । कितना भी वह अक्लमंद हो, अक्ल जायेगी मारी।। एक बोली, क्या नहीं जानते! स्त्री कैसी होती है?
हंसने से ज्यादा महिलाये, बिना बात रोती है । ।
ब्रह्मा बोले यही कार्य तब, रोना भी कर देगा ।
औरत का रोना भी नर की, बुद्धि को हर लेगा ।।
इक बोली, हमको ना रोना, ना हंसना आता है।
झगड़े में है सिद्धहस्त हम, झगड़ा ही भाता है।

ब्रह्मा बोले चलो मान ली, यह भी बात तुम्हारी ।
घर में जब भी झगड़ा होगा, होगी विजय तुम्हारी।। जग में अपनी पत्नी से जब कोई पति लड़ेगा। पछताएगा, सिर ठोकेगा आखिर वही झुकेगा ।।

ब्रह्मा बोले सुनो ध्यान से, अंतिम वचन हमारा ।
तीन शस्त्र अब तुम्हे दे दिए, पूरा न्याय हमारा ।।
इन अचूक शस्त्रों में भी, जो मानव नहीं फंसेगा।
बड़ा विलक्षण जगतजयी ऐसा नर दुर्लभ होगा ।।

कहे कवि सब बड़े ध्यान से सुन लो बात हमारी । बिना अक्ल के भी होती है, नर पर नारी भारी ।।

Nitish Adawadkar
by Nitish Adawadkar
He is a 3rd year pg student in the department of community medicine at Government Medical College, Ratlam
See more works from Nitish

Send your comments about this post to gmcrmagazine@gmail.com