Stories by Nitish Adawadkar
Nari Kahan Hai
अक्ल बाटने लगे विधाता, लंबी लगी कतारी । सभी आदमी खड़े हुए थे, कहीं नहीं थी नारी।। सभी नारियाँ कहाँ रह गई, था ये अचरज भारी । पता चला ब्यूटी पार्लर में, पहुँच गई थी सारी ।। मेकअप की थी गहन प्रक्रिया एक एक पर भारी । बैठी थीं कुछ इंतजार में, कब आएगी बारी ।।
poem by Nitish Adawadkar