Stories by Kuldeep Singh Rajpurohit
Wo ladka ab badal gya h
कभी महफिलों में बैठनेवाला आज 9-5 में उलझ गया है हर चीज़ खरीदने वाला, आज हर चीज़ का हिसाब सीख गया है। सिर्फ तुमसे ही प्यार करता हूं कहने वाला, आज मां बाप की पसंद पर मर गया है। कभी एक कॉल पर हर बवाल में आने वाला, आज दोस्तों के घर भूल गया है।
poem by Kuldeep Singh Rajpurohit